Shiv chaisa Secrets
Shiv chaisa Secrets
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कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
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सुबह सुबह ले शिव का नाम, शिव आयेंगे तेरे काम ॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन
वो मेरा है तारण हारा, उस से मेरा जग उजारा।